भारतीय जीवन और दर्शन >> मानवाधिकार की संस्कृति मानवाधिकार की संस्कृतिनन्दकिशोर आचार्य
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"न्याय की नई कल्पना : स्वतंत्रता, अस्मिता और समानता की आधारशिला मानवाधिकार"
अनुक्रम
- सामाजिक स्वातन्त्र्य की बुनियाद (मानवाधिकार : दार्शनिक आधार)
- सत्ता की मानवीय संकल्पना (मानवाधिकार : राजनीतिक सन्दर्भ)
- मानवपरक अर्थव्यवस्था की ज़रूरत (मानवाधिकार : आर्थिक सन्दर्भ)
- मानवीय स्वातन्त्र्य की दीक्षा (मानवाधिकार : शैक्षिक सन्दर्भ)
- प्रौद्योगिकी स्वयं एक विचारधारा है
- मुस्लिम निजी क़ानून में संशोधन का सवाल
- वापस बुलाने के अधिकार का सवाल
- मानवाधिकार और तकनीकी
- आदिवासी समूह : विकास का अधिकार
- अति पिछड़ों के लिए विशेष आरक्षण
- अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार
- मानवाधिकार हैं सांस्कृतिक अस्मिता का आधार
- समान नागरिक संहिता की मुश्किलें
- व्यक्ति, शास्त्र और न्याय
- विकास की वैकल्पिक अवधारणा की ज़रूरत
- रोज़गार : सम्प्रभुता का नैतिक दायित्व
- मानवाधिकार की संस्कृति
- निजी क्षेत्र में आरक्षण अनुचित नहीं
- रोज़गार के अधिकार का औचित्य
- मानवाधिकार आयोग के विकेन्द्रीकरण की अनिवार्यता
- हड़ताल का अधिकार और लोकतन्त्र
- मानवाधिकार का विरोधी विकास
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